अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति। भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। https://shiv-chalisa-lyrics-in-gu61699.wikitidings.com/5861536/top_guidelines_of_shiv_chalisa_lyrics