अजन्त नपुंसकलिंग फल, दधि, मधु, धातृ आदि। संस्कृत में सात विभक्तियां होती हैं। (प्रथमा से सप्तमी तक)। प्रत्येक विभक्ति में तीन वचन होने के कारण प्रत्येक शब्द के इक्कीस रूप बनते हैं। इसके अतिरिक्त एक वचन में सम्बोधन के रूप भिन्न होते हैं। तीनों वचनों में मूल शब्द से चिह्न https://maplepublishers.com/blog/what-you-must-know-about-selling-your-self-published-books/